Class 11 Ag Engineering ( कृषि अभियंत्रण ) Importaint Questions And Answers
प्रश्न 2. ढलवाँ लोहे पर ग्रेफाइट (स्वतंत्र कार्बन) तथा
सीमेण्टाइड (संयुक्त कार्बन) का क्या
प्रभाव पड़ता है? ( उ०प्र० 2011, 13)
उत्तर- ढलवाँ लोहे में संयुक्त कार्बन (लोहा + कार्बन) 2-4% होने पर इसे तोड़ने से सफेद रंग दिखाई देता है तथा घिसावट कम होती है। ऐसे लोहे से बनी वस्तुएँ कठोर तथा भंगुर होती है। उदाहरण-श्वेत ढलवाँ लोहा
धूसर ढलवाँ/भूरा ढलवाँ लोहा—स्वतंत्र ग्रेफाइट की उपस्थिति के कारण इस लोहे की वस्तुएँ तोड़ने पर स्लेटी रंग की निकलती हैं। यह अपेक्षाकृत मुलायम रहता है इसमें 3-4% तक कार्बन (स्वतंत्र ग्रेफाइट के रूप में) होती है। इसकी खिंचाव शक्ति भी कम होती है।
प्रश्न 3. तनन प्रतिबल तथा सम्पीडन प्रतिबल
में क्या अन्तर है? (उ०प्र० बोर्ड 2013)
प्रश्न 4. इस्पात का कठोरीकरण क्यों किया जाता है?
उत्तर--कठोरीकरण (Hardening) कठोरीकरण इसलिये किया जाता है कि इस्पात अधिक कठोर व सख्त हो जाये। इस क्रिया में इस्पात को 750° से 800° सेन्टीग्रेड तक गर्म किया जाता है। इसके बाद गर्म इस्पात को पानी या तेल में बुझाकर शीघ्रता से ठण्डा कर दिया जाता है। इससे इस्पात कठोर हो जाता है और उसमें घिसावट कम होती है।
प्रश्न 5. इस्पात के मृदुकरण की आवश्यकता
क्यों होती है।
उत्तर - मृदुकरण (Tempering)—कठोरीकरण करने से इस्पात भंगुर हो जाता है। अतः उसकी भंगुरता को कम करने के लिए तथा उसकी तन्यता (Ductility) व कठोरता बढ़ाने के लिए कठोरीकृत या बुझाकर ठण्डी की गई इस्पात को पुनः 650°C तापमान या नीला रंग (मध्यम तापमान) आने तक गर्म करके वायु में प्राकृतिक रूप से ठण्डा कर लेते हैं। फिर उपयुक्त तापमान आने पर पानी में बुझाकर ठण्डा कर लेते हैं। यह प्रक्रिया यन्त्रों की धार पर की जाती है।
प्रश्न 6. ढलवाँ लोहे की कृषि यन्त्रों में क्या उपयोगिता है।
उत्तर—यह सुगमतापूर्वक विभिन्न आकृतियों में ढाला जा सकने वाला, सबसे सस्ता लोहा होता है। छोटे हलों के फार, सस्ते मोल्ड बोर्ड, तथा हलमूल (frog) इत्यादि को बनाने में इसी लोहे का प्रयोग किया जाता है। पंजाब हल तथा टर्नरेस्ट हलों के भी कई भाग इसी लोहे से बनते हैं। चारा काटने की मशीन, मक्का के भुट्टे से दाना निकालने की मशीन, कोल्हू का निर्माण, पाईप, फ्रेम, खम्बे, सिलिन्डर, गति पालक पहिया, इंजन के ब्लॉक, बेलन नली तथा तल पट्टिका (Bed Plates) भी इसी लोहे से बनाये जाते है।
अर्थात किसानोपयोगी अधिकांश कृषि कार्य में प्रयुक्त होने वाले यन्त्र इसी लोहे के बनते हैं। जिनके बिना कृषक के क्रियाकलाप पूर्ण नहीं हो पायेंगे तो यह लोहा किसानों के लिये सबसे उपयोगी एवं सबसे सस्ता है।
प्रश्न 8. पिटवाँ लोहे में कौन-कौन से गुण होते हैं?
उत्तर—यह लोहा तन्य (Ductile) होता है जिसे कभी पिघलाकर द्रव में नहीं बदला जा सकता है। यह अत्यन्त आद्यातवर्ध्य (Malleable) होता है जिससे इसे पीटकर चादर तैयार की जाती है। यह आसानी से झुकाया तथा काटा जा सकता है तथा इसमें छेद भी किया जा सकता है। यह लोहा 816°C ताप पर ढाला जा सकता है। इसका प्रयोग जंजीर, नट, बोल्ट, छड़ें तथा प्लेटों को बनाने में किया जाता है। यह एक प्रकार का शुद्ध लोहा होता है जिसमें मात्र 0.05 से 0.1% कार्बन होती है तथा अशुद्धि के रूप में कम मात्रा में सिर्फ फास्फोरस, सल्फर तथा सिलिकॉन ही होती हैं।
प्रश्न 10. टिन (Tin) धातु को इस्पात की चादरों
पर क्यों चढ़ाया जाता है?
उत्तर- टिन धातु जंग अवरोधी (Antirust) धातु है इसीलिये इसको पतली परत के रूप में इस्पात चादरों पर चढ़ाया जाता है जिससे उन पर साधारण कार्बनिक अम्लों का प्रभाव न हो और ऐसी चादर जंग अवरोधी हो जाती है। इन चादरों से वस्तुएँ रखने के डिब्बे (Containers) बनाये जाते हैं।
प्रश्न 11. प्लास्टिक के मुख्य संघटक (constituent)
के नाम लिखिये ।
उत्तर—प्लास्टिक, रेजिन पदार्थ से तैयार किया गया एक ऐसा कार्बनिक पदार्थ है जिसे ताप व दाब की सहायता से परिवर्तित करके विभिन्न आकारों में ढाला जा सकता है। यह तीन पदार्थों (अवयव) से मिलकर बनती है—
(A) आधार पदार्थ (Base Materials) थर्मोप्लास्ट तथा थर्मोसेट प्लास्टिक के ग्रुप रेजिन ।
(B) पूरक पदार्थ (Filler Materials) – रेशेदार पूरक पदार्थ, पटलित (Laminated) पूरक, चूर्ण पूरक पदार्थ, जैसे— Al, Cu, Fe, Pb (सीसा), क्वार्ट्ज, सूती कपड़े, लकड़ी का बुरादा आदि ।
(C) सुघट्य कारक/प्लास्टिसाइजर (Plasticiser Materials)—कपूर, बैंजीन, डाईऑक्साइड थोलेट, (60% तक मिलता है) ट्राईक्रिसाईल फास्केट, ट्राईएसीटोन, ट्राईन्यूराईथ फास्फोट आदि ।
प्रश्न 12. ढलवाँ लोहे में कार्बन किन रूपों में
पाया जाता है?
धूसर एवं श्वेत ढलवाँ लोहे में अन्तर लिखिए ।
(उ० प्र० 2010 )
उत्तर- ढलवाँ लोहे में कार्बन निम्न रूपों में पाया जाता है—
(i) स्वतंत्र अवस्था में (In free form ) — इस अवस्था में कार्बन धूसर ढलवाँ लोहे में पायी जाती है। जोकि ग्रेफाइट की शक्ल में किसी सीमा तक पृथक् की जा सकती है।
(ii) मिश्रित अथवा संयुक्त अवस्था में (In combined form)—इस अवस्था में कार्बन श्वेत ढलवाँ लोहे में पायी जाती है। इसमें कार्बन को अलग नहीं किया जा सकता।
(iii) स्वतंत्र तथा मिश्रित (संयुक्त) अवस्था में (In free and combined both ) — इस अवस्था में कार्बन स्वतंत्र तथा मिश्रित दोनों अवस्थाओं में समान मात्रा में होता है। यह अवस्था चित्तीदार ढलवाँ लोहे (Mottled Cast Iron) में पायी जाती है।
प्रश्न 13. ताप नम्य प्लास्टिक (Thermoplast) क्या
होता हैं?
उत्तर- इसे ताप प्लास्टिक (Thermo plastic) भी कहते हैं। यह ताप के प्रति अधिक संवेदनशील है। अर्थात् अधिक ताप में यह पिघल जाती है तथा ठण्ड में शीत पाकर कठोर हो जाता है। इसलिए इसे ताप नम्य प्लास्टिक या ताप प्लास्टिक कहते हैं । ताप परिवर्तन से इसमें सिर्फ भौतिक परिवर्तन होते हैं। इसे कई बार पिघला पिघला कर प्रयोग में लाया जा सकता है। यह कम कठोर तथा टिकाऊ होती है। यह कम जलरोधी, कम जंग या संक्षारणरोधी, कम ऊष्मारोधी, कम ध्वनि रोधी तथा कम विद्युत रोधी होती है ।
अनुप्रयोग (Applications)—रेडियो, टी०वी०, रेफ्रीजरेटर, मिरर व लैंस, स्कूटर, साइकिल, खिलौने व जहाज आदि में इसका प्रयोग होता है। इलैक्ट्रिक इन्सूलेशन केबिल, बायर्स, ट्रान्सपैरेन्ट फ्रेम्स तथा कवर्स, ट्यूब, टायर, वाटर पाईप आदि में भी इसका प्रयोग किया जाता है ।
प्रश्न 14. तापदृढ़ प्लास्टिक का क्या उपयोग है और
यह क्या गुण रखती है?
उत्तर- तापदृढ़ प्लास्टिक (Thermoset Plastic) यह ताप के प्रति अधिक संवेदनशील नहीं है जो ताप पाकर सिर्फ एक ही बार पिघलता है और फिर शीत पाकर/ठण्डा लेकर सदा के लिये जमकर कठोर हो जाता है। इसमें ताप परिवर्तन से रसायनिक क्रिया होती है न कि भौतिक क्रिया । इसकी ढलाई में कम समय लगता है इसके कणों/अणुओं में मजबूत बन्धन होता है। यह अधिक जल, ऊष्मा, ध्वनि, विद्युत तथा जंगरोधी होती है।
अनुप्रयोग (Applications)—इसका प्रयोग पैन, पैंदी, कंधे, सेट स्कवायर, प्रोट्रेक्टर आदि बनाने में किया जाता है। गुण के उदाहरण- (i) फिनोल-फर-फर-ऐल्डिहाईड, (ii) फिनोल फॉर्मेल्डिहाईड, (iii) यूरिया और मेलामाईन फार्मेल्डिहाईड, (iv) फिनोलिक एण्ड पालिस्टर प्लास्टिक, (v) ड्यूराईट ।
प्रश्न 15. मोल्ड बोर्ड हल का आकार कैसे
नापा जाता (उ० प्र० 2020)
उत्तर- 1. लुमिनस को कैन्डेलास प्रति वर्ग मी० (Cd/m2) जिसे निट भी कहा जाता है में मापा जाता है।
2. पहलू अनुपात क्षैतिज और लम्बत लम्बाई का अनुपात है।
3. दर्शनीय छवि आकार को तिरछा मापा जाता है।
4. (i) जिग (ii) जैग (iii) हाँरिजान्टली (iv) वर्टिकल
प्रश्न 16. प्लास्टिक का कृषि यन्त्रों में क्या उपयोग है?
उत्तर- विशेष प्रकार के जटिल रासायनिक मिश्रण, जिन्हें इच्छानुसार किसी भी आकृति में ढाला जा सकता है, को प्लास्टिक कहते हैं। यह मुख्यतः चादर तथा ट्यूब (Shafting) के रूप में मिलता है ।
उपयोग-सीड ड्रिल की ट्यूब, स्प्रेयर की ट्यूब, बैटरी के सेल, ट्रेक्टर, इंजन के भाग, एल्बो, पाईप, पाईप ज्वाइंट, यन्त्रों के हत्थे, पंखे आदि का निर्माण प्लास्टिक से किया जाता है।
प्लास्टिक 2 प्रकार की होती है— (1) ताप नम्य प्लास्टिक (जिस पर तापमान का अधिक प्रभाव पड़ता है अर्थात ताप बढ़ने पर पिघलना तथा ठण्डे में सख्त होने वाली) ।
(2) ताप दृढ़ प्लास्टिक (जिस पर ताप का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है)।
प्रश्न 17. मृदु इस्पात तथा उच्च कार्बन इस्पात की
तुलना कीजिए । (उ० प्र० 2015)
प्रश्न 18. कृषि यन्त्रों को बनाने में लकड़ी के
क्या उपयोग है ? (उ० प्र० 2015)
उत्तर- विभिन्न कृषि यन्त्रों को बनाने में लकड़ी के क्या उपयोग—
(1) शीशम (Shisham)—शीशम चूँकि कठोर और बहुत मजबूत होता है इसलिये कृषि यंत्रों के हत्थे, हल की हरीस, देशी हल के लगभग सभी भाग, करहे, जुआ, पटेला, धुरी, बैलगाड़ी आदि के बनाने में इसका प्रयोग किया जाता है।
(2) साखू या साल (Sal) — यह एक कठोर और मजबूत होती है, इसलिये इसका उपयोग हल की हरीस, फावड़े के बैंटे, कृषि यंत्रों के हत्थे तथा बैलगाड़ी आदि बनाने में किया जाता है।
(3) बबूल या कीकर (Babool)—इसकी लकड़ी बैलगाड़ी के पहिये बनाने, धुरा, खूँटा, औजारों के हत्थे, देशी हल, हलों की हरीस, करहे, फावड़े, खुर्पे के बैंटे, जुआ और पटेला आदि बनाने के काम आती है।
(4) आम (Mango)—यह पूरे भारतवर्ष में पाया जाता है। इसकी लकड़ी कठोर होती है। इसका प्रयोग साधारण वस्तुओं, जैसे—खुरपे, फावड़े के बैंटे, करहे आदि के बनाने में किया जाता है।
(5) नीम (Neem)—इसकी लकड़ी मजबूत और पायदार होती है। इसकी लकड़ी में दीमक, घुन आदि नहीं लगता। यह अपेक्षाकृत सस्ती भी होती है। इसकी लकड़ी का प्रयोग बहुधा बैलगाड़ियों के बनाने में होता है। खुर्पे, फावड़े के बैंटे, पटेला
आदि बनाने में इस लकड़ी का प्रयोग किया जाता है।
(6) प्लास्टिक (Plastic)-- विशेष प्रकार के जटिल रासायनिक मिश्रण, जिनको इच्छानुसार किसी भी आकृति में ढाला जा सकता है, को प्लास्टिक कहते हैं। प्लास्टिक का प्रयोग सीड ड्रिल की ट्यूब, स्प्रेयर (दवाई छिड़कने के यन्त्र) की ट्यूब, बैटरी के खोल (case), यन्त्रों के भाग इत्यादि के लिये होता है।






1 टिप्पणियाँ
sir math and physics ke imp question post kar do
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