'गद्य खण्ड' ( 1.) भारतीय संस्कृति
प्रश्न 1. निम्नलिखित गद्यांशों में से किसी एक को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस
पर आधृत किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए- 3 x 2 = 6
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| डॉ० राजेन्द्रप्रसाद ( Dr. Rajendra Prasad ) |
(1) आज हम इसी निर्मल, शुद्ध, शीतल और स्वस्थ अमृत की तलाश में हैं और हमारी इच्छा, अभिलाषा और प्रयत्न यह है कि वह इन सभी अलग-अलग बहती हुई नदियों में अभी भी उसी तरह बहता रहे और इनको वह अमर तत्त्व देता रहे, जो जमाने के हजारों थपेड़ों को बरदाश्त करता हुआ भी आज हमारे अस्तित्व को कायम रखे हुए है और रखेगा। [2016, 23]
प्रश्न : (क) उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए। [2016, 23]
(ख) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए। [2016, 23]
(ग) हमारे अस्तित्व को कौन कायम रखे हुए है? [2016]
अथवा लेखक के अनुसार हमारा अस्तित्व किस कारण से आज भी कायम है?
(घ) भारतीय संस्कृतिरूपी विशाल सागर का जल किसके द्वारा मलिन हो गया है? [2016]
उत्तर : (क) सन्दर्भ- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक के 'गद्य-खण्ड' के 'भारतीय संस्कृति' नामक पाठ से उद्धृत है। इसके लेखक डॉ० राजेन्द्रप्रसाद हैं।
उत्तर : (ख) रेखांकित अंश की व्याख्या- भारतीय संस्कृतिरूपी विशाल सागर में आकर गिरनेवाली जाति, धर्म, भाषारूपी आदि नदियों में एक ही भाव से शुद्ध, स्वच्छ, शीतल तथा स्वास्थ्यप्रद भारतीयतारूपी एकता का जल अमृत के समान प्रवाहित होता रहा है। आज यह जल राजनैतिक स्वार्थ, साम्प्रदायिकता, आतंकवाद, धार्मिक, कट्टरता आदि के द्वारा मलिन हो गया है। हमें आज सदियों पहले प्रवाहित उसी अमृत तत्त्व की तलाश है, जिस अमृतरूपी जल में एक ही उदात्त भाव का समावेश रहा है, जो भारतीय संस्कृति को अमरता और स्थिरता प्रदान करता है। हमारी हार्दिक इच्छा है कि विभिन्न विचारधाराओं के रूप में इन नदियों में यह अमृतरूपी जल सदैव प्रवहमान् बना रहे, जिससे सभी लोगों में प्रेम और राष्ट्रीयता की भावना का संचार हो। इस भावना का विस्तृत रूप ही सनातन धर्म है और यही भारतीय संस्कृति की उदात्त परम्परा है। यद्यपि इस देश ने तरह-तरह के संकट झेले हैं, तथापि भारतीय संस्कृति की विभिन्नता में एकता एक ऐसा तत्त्व है, जो आज तक मिटाया नहीं जा सका है। न जाने कितनी बार इस देश पर बाहरी लोगों द्वारा आक्रमण किए गए और अनगिनत बार यह देश आक्रमणकारियों की धर्मान्धता का शिकार हुआ, किन्तु यहाँ एक ऐसा तत्त्व सदैव विद्यमान रहा, जिसके बल पर भारतीय संस्कृति का अस्तित्व आज तक बना हुआ है।
उत्तर : (ग) भारतीय संस्कृति का एकता तत्त्व ही वह अमृत है, जो हमारे अस्तित्व को कायम रखे हुए हैं।
उत्तर : (घ) स्वयं को दूसरे से भिन्न और श्रेष्ठ मानने की हमारी विषमता और अनेकता की भावना के द्वारा भारतीय संस्कृतिरूपी विशाल सागर का जल मलिन हो गया है।
11. नील सरोरुह स्याम, सरुन अरुन बारिज नयन।
करउ सो मम उर धाम, सदा छीरसागर सयन ॥
-इसमें छन्द है-
23. जीती जाती हुई, जिन्होंने भारत बाजी।
निज बल से बल मेट, विधर्मी मुगल कुराजी ॥
जिनके आगे ठहर, सके जंगी न जहाजी।
हैं ये वही प्रसिद्ध छत्रपति भूप शिवाजी ॥
-उपर्युक्त पंक्तियों में छन्द है-
1. काव्य की शोभा बढ़ानेवाले तत्त्वों को कहते हैं-
2. अलंकार का शाब्दिक अर्थ है- [मा०शि०प० पाठ्यपुस्तक ]
3. शब्दालंकार किस पर आधारित होता है-
4. अर्थालंकार किस पर आधारित होता है-
5. शब्दालंकार का भेद नहीं है-
6. जहाँ किसी वस्तु की तुलना दूसरी प्रसिद्ध वस्तु से की जाती है, वहाँ होता है-
7. जहाँ उपमेय और उपमान में अभेद सम्बन्ध होता है, वहाँ होता है- ( मा०शि०प० पाठ्यपुस्तक )
8. उपमा अलंकार के कितने अंग होते हैं-
9. उपमेय अलंकार का अंग नहीं है-
10. जिस वस्तु या प्राणी की तुलना की जाती है, उसे कहते हैं-
11. जिस प्रसिद्ध वस्तु से उपमेय की तुलना की जाती है, उसे कहते हैं-
12. 'कोटि कुलिस सम वचन तुम्हारा'-पंक्ति में अलंकार है-
13. 'आए महन्त बसन्त।'-पंक्ति में अलंकार है-
14. 'निर्मल तेरा नीर अमृत के सम उत्तम है।'-पंक्ति में अलंकार है-
15. 'वन शारदी चन्द्रिका चादर ओढ़े।'-पंक्ति में अलंकार है-
16. 'राम-नाम मनिदीप धरि, जीह देहरी द्वार।'—रेखांकित में अलंकार है-
17. 'वह दीपशिखा-सी शान्तभाव में लीन।'—रेखांकित में अलंकार है-
18. 'पड़ी थी बिजली-सी विकराल ।' पंक्ति में उपमान है—
19. 'तब तो बहता समय शिला-सा जम जाएगा।'-पंक्ति में रेखांकित है-
20. 'चँवर सदृश डोल रहे सरसों के सर अनन्त।'—पंक्ति में वाचक शब्द है-
21. 'चॅवर सदृश डोल रहे सरसों के सर अनन्त । ' - पंक्ति में साधारण धर्म है-
22. 'रूपक' अलंकार का उदाहरण है-
23. 'उपमा' अलंकार का उदाहरण है-
24. उपमेय में उपमान की सम्भावना किस अलंकार में होती है- अथवा जहाँ उपमेय में उपमान की सम्भावना की जाए, वहाँ अलंकार होता है- [मा०शि०प० पाठ्यपुस्तक]
25. 'उस काल मारे क्रोध के तनु काँपने उसका लगा। मानो हवा के वेग से सोता हुआ सागर जगा ॥' -उपर्युक्त रेखांकित पंक्ति में कौन-सा अलंकार है- [2024 HA]
26. जहाँ उपमेय पर उपमान का बलात् आरोपण किया जाए, वहाँ कौन-सा अलंकार होता है- [2009]
27. मंजु मेचक मृदुल तनु, अनुहरत भूवन भरनि। मनहूँ सुभग सिंगार सिमु-तरु फर्यो अद्भुत फरनि॥ -उपर्युक्त पंक्तियों में अलंकार है-
28. 'हरि पद कोमल कमल-से' पद में अलंकार है-
29. उत्प्रेक्षा अलंकार के वाचक शब्द हैं-
30. 'उपमा' अलंकार का उदाहरण है-
31. 'रूपक' अलंकार का उदाहरण है-
32.. 'एक रम्य उपवन था, नन्दन वन-सा सुन्दर।'-पंक्ति में उपमान है-
33. 'जीवन-तरु की महिमा न्यारी । ' - पंक्ति में कौन-सा अलंकार है-
34. 'मुख बालरवि सम लाल होकर, ज्वाला-सा बोधित हुआ।' –में अलंकार है- [मा०शि०प० पाठ्यपुस्तक ]
35. 'पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।' पंक्ति में कौन-सा अलंकार है- [2024 HG]
36. 'विधि कुलाल कीन्हें काँचे घट।'-पंक्ति में अलंकार है-
37. 'हरिपद कोमल कमल-से।'-पंक्ति में अलंकार है-
38. सोहत ओढ़े पीतु पटु, स्याम सलोने गात। मनौ नीलमनि-सैल पर, आतपु पर्यो प्रभात ॥ -उपर्युक्त पंक्तियों में अलंकार है- [2023]
39. मानहुँ बिधि तन-अच्छ छबि, स्वच्छ राखिबै काज। दृग-पग पौंछन कौं करे, भूषन पायन्दाज । -उपर्युक्त पंक्तियों में उत्प्रेक्षा का वाचक शब्द है-
40. 'मनु ससि शेखर की अकस, किय सेखर सत चन्द।' —यह पंक्ति उदाहरण है-
41. उत्प्रेक्षा अलंकार का उदाहरण है-
42. 'पीपर पात सरिस मन डोला।' -उपर्युक्त पंक्ति में अलंकार है- [2023, 24 HF]
43. 'चरण-कमल बन्दौ हरि राई ।' -उपर्युक्त पंक्ति में अलंकार है- [मा०शि०प० पाठ्यपुस्तक: 2023, 24 HC]
44. 'मनहुँ, 'मानो', 'जनु', 'जानो' आदि वाचक शब्द किस अलंकार में प्रायः प्रयुक्त होते हैं- [2023]
45. 'यहीं कहीं पर बिखर गई वह, भग्न विजयमाला-सी।' -उपर्युक्त पंक्ति में कौन-सा अलंकार है- [2023]
46. जहाँ उपमेय की किसी उपमान से गुण-धर्म के आधार पर समानता की जाए, वहाँ अलंकार होता है- [2023] अथवा जहाँ उपमेय में उपमान की समानता प्रकट की जाए, वहाँ अलंकार होता है- [2024 HB]
47. 'ज्यौं आँखिनु सब देखिये, आँख न देखी जाँहि ।' -उपर्युक्त पंक्ति में कौन-सा अलंकार है- [2024 HD]
48. 'आहुति-सी गिर पड़ी चिता पर, चमक उठी ज्वाला-सी।' -उपर्युक्त पंक्ति में कौन-सा अलंकार है- [2024 HE ]

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